साकेत कोर्ट ने नर्मदा बचाओ आंदोलन कार्यकर्ता मेधा पाटकर को पांच महीने की साधारण कारावास की सजा सुनाई है। इसके बाद उन्होंने कहा कि वह कोर्ट के फैसले को चुनौती देंगी।
सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर को दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना से जुड़े मानहानि केस में दोषी ठहराते हुए दिल्ली की एक अदालत ने 5 महीने की सजा और 10 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है। यह मामला 2001 का है जब सक्सेना, जो अब दिल्ली के उपराज्यपाल हैं, ने पाटकर पर उनके खिलाफ झूठे आरोप लगाने का आरोप लगाया था।
यह मामला सक्सेना द्वारा पाटकर के खिलाफ प्रकाशित विज्ञापनों से संबंधित है, जिसमें पाटकर ने सक्सेना पर आरोप लगाया था कि उन्होंने गुजरात के लोगों और उनके संसाधनों को विदेशी हितों के सामने गिरवी रखा है। कोर्ट ने यह पाया कि पाटकर के बयान न केवल मानहानिकारक थे, बल्कि जनता में सक्सेना के प्रति नकारात्मक धारणाएं उत्पन्न करने के उद्देश्य से बनाए गए थे
इस फैसले के अनुसार, पाटकर पर भारतीय दंड संहिता की धारा 500 के तहत आपराधिक मानहानि का आरोप सिद्ध हुआ है, जिसके तहत उन्हें सजा सुनाई गई है।
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