मुंबई में पहली बार आयोजित हुए वर्ल्ड ऑडियो विजुअल एंड एंटरटेनमेंट समिट 2025 (WAVES 2025) ने भारत की मीडिया और एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री को वैश्विक मंच पर उभारने की दिशा में एक बड़ा कदम बढ़ाया है। इस चार दिवसीय समिट के दूसरे दिन बॉलीवुड अभिनेता आमिर खान ने एक पैनल डिस्कशन में हिस्सा लिया और मौजूदा फिल्म इंडस्ट्री की चुनौतियों पर बेबाक राय रखी।
आमिर खान की चिंता: OTT बन रहा है खतरा?
पैनल डिस्कशन के दौरान आमिर खान ने कहा कि OTT प्लेटफॉर्म्स की लोकप्रियता और डिजिटल सामग्री की पहुंच ने एक तरफ जहां दर्शकों को विकल्प दिए हैं, वहीं इसका नकारात्मक असर थिएटर में रिलीज़ होने वाली फिल्मों पर भी पड़ा है।
"आज दर्शकों के पास इतनी सुविधाएं हैं कि वे घर बैठे अपने मोबाइल या टीवी स्क्रीन पर प्रीमियम कंटेंट देख सकते हैं। ऐसे में सिनेमाघरों में जाकर फिल्म देखना अब उनके लिए ज़रूरत नहीं, एक विकल्प बन गया है," आमिर ने कहा।
उन्होंने यह भी जोड़ा कि महामारी के बाद दर्शकों की आदतें बदल गई हैं, और इसका सीधा असर बॉक्स ऑफिस कलेक्शन पर पड़ रहा है।
थिएटरों की भारी कमी पर जताई चिंता
आमिर खान ने कहा कि देश की जनसंख्या के मुकाबले भारत में थिएटरों की संख्या बेहद कम है।
“भारत की 140 करोड़ से ज़्यादा आबादी के लिए हमारे पास सिर्फ कुछ हज़ार थिएटर हैं। जबकि अमेरिका, जिसकी आबादी भारत की तुलना में बहुत कम है, वहां थिएटरों की संख्या हमसे कहीं ज़्यादा है। यह असंतुलन फिल्म इंडस्ट्री की पहुंच को सीमित करता है,” उन्होंने कहा।
समाधान की ओर इशारा
हालांकि आमिर ने केवल समस्याएं ही नहीं गिनाईं, बल्कि कुछ संभावित समाधानों की भी बात की। उन्होंने कहा कि सरकार और निजी क्षेत्र को मिलकर ग्रामीण और छोटे शहरों में मिनी थिएटर या मल्टीप्लेक्स सिस्टम को बढ़ावा देना चाहिए, जिससे अधिक से अधिक लोग सिनेमाई अनुभव से जुड़ सकें।
उन्होंने यह भी सुझाया कि फिल्म निर्माताओं को भी स्क्रिप्ट और प्रस्तुतिकरण में अधिक प्रयोग करना चाहिए, ताकि दर्शकों को थिएटर में आने का एक मजबूत कारण मिल सके।
WAVES 2025: एक वैश्विक मंच
WAVES 2025 का आयोजन भारत सरकार द्वारा किया गया है, जिसका उद्देश्य भारतीय मीडिया, फिल्म, टीवी, म्यूजिक और OTT सेक्टर को वैश्विक मंच पर प्रस्तुत करना है। इसमें देश-विदेश से प्रख्यात हस्तियां, निर्माता-निर्देशक, टेक्नोलॉजी एक्सपर्ट और पॉलिसी मेकर्स हिस्सा ले रहे हैं।
इस समिट के जरिए न केवल भारतीय एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री की चुनौतियों को समझा जा रहा है, बल्कि एक स्थायी और समावेशी विकास की दिशा में पहल भी की जा रही है।
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