देश के मुख्य न्यायाधीश (CJI) बीआर गवई ने हाल ही में 'बुलडोजर न्याय' (Bulldozer Justice) के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर अपनी संतुष्टि जाहिर की है। उन्होंने कहा कि इस तरह की कार्रवाई पर रोक लगाने का फैसला उन्हें बेहद संतोषजनक लगा, क्योंकि यह सीधे तौर पर मानवीय समस्याओं से जुड़ा हुआ था।
फैसले का सार और गवई के विचार:
* मानवीय पहलू: CJI गवई ने कहा कि इस फैसले का मूल कारण मानवीय समस्याएं थीं, क्योंकि परिवार के सदस्यों को सिर्फ इसलिए परेशान किया जा रहा था, क्योंकि परिवार का एक सदस्य कथित या वास्तविक रूप से अपराधी था।
* कानून का राज सर्वोपरि: उन्होंने जोर देकर कहा कि देश में कानून का राज सर्वोपरि है। अगर कोई व्यक्ति दोषी भी है, तो भी वह कानून के शासन का हकदार है। बिना किसी कानूनी प्रक्रिया के किसी के घर को गिरा देना कानून का उल्लंघन है।
* कार्यपालिका जज नहीं बन सकती: CJI ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले ने यह सुनिश्चित किया कि कार्यपालिका (सरकार) खुद ही जज, जूरी और जल्लाद न बन जाए। उन्होंने कहा कि संविधान में शक्तियों का स्पष्ट विभाजन है और कार्यपालिका को न्यायपालिका का काम नहीं करना चाहिए।
* नागरिकों के अधिकारों की रक्षा: यह फैसला नागरिकों के मौलिक अधिकारों की रक्षा के लिए महत्वपूर्ण था, खासकर अनुच्छेद 21 के तहत जीवन और आश्रय के अधिकार के लिए। कोर्ट ने कहा कि एक घर केवल एक संपत्ति नहीं है, बल्कि एक परिवार की स्थिरता और भविष्य की आशाओं का प्रतीक है।
फैसले में अन्य महत्वपूर्ण बातें:
* सुप्रीम कोर्ट ने नवंबर 2024 में एक ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए 'बुलडोजर न्याय' पर देशभर में दिशा-निर्देश जारी किए थे।
* कोर्ट ने कहा था कि अवैध निर्माण गिराने से पहले उचित कानूनी प्रक्रिया का पालन करना अनिवार्य है।
* अदालत ने अधिकारियों को निर्देश दिया था कि अगर कोई अवैध निर्माण है भी, तो उसे गिराने से पहले मालिक को पर्याप्त समय और मौका दिया जाए ताकि वह कानूनी उपाय कर सके।
CJI गवई ने यह भी कहा कि इस फैसले का श्रेय सिर्फ उन्हें नहीं, बल्कि जस्टिस केवी विश्वनाथन को भी जाता है, जो इस बेंच का हिस्सा थे। उन्होंने कहा कि इस तरह के फैसले उन्हें और जस्टिस विश्वनाथन को बेहद संतुष्टि देते हैं क्योंकि वे सीधे तौर पर समाज के सबसे कमजोर वर्ग के लोगों को प्रभावित करने वाली समस्याओं का समाधान करते हैं।

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