यहाँ "कहाँ राजा भोज, कहाँ गंगू तेली" एक प्रसिद्ध हिंदी कहावत है, जिसका अर्थ होता है – "एक महान व्यक्ति की तुलना एक साधारण या सामान्य व्यक्ति से नहीं की जा सकती।" इस कहावत के पीछे एक रोचक और प्रेरणादायक लोककथा जुड़ी हुई है।
कहानी का सारांश:
प्राचीन समय में राजा भोज नामक एक न्यायप्रिय, विद्वान और पराक्रमी सम्राट थे, जो अपनी विद्वत्ता और प्रजावत्सलता के लिए प्रसिद्ध थे। कहा जाता है कि एक बार उन्होंने एक सभा का आयोजन किया, जिसमें केवल योग्य और विद्वान लोगों को ही प्रवेश की अनुमति थी।
उसी समय, गंगू तेली नामक एक साधारण तेल निकालने वाला व्यक्ति, जो न तो राजा था, न विद्वान, और न ही विशेष प्रतिष्ठा रखता था, किसी कारणवश सभा में घुस आया। यह देखकर सभा में उपस्थित लोगों ने व्यंग्य में कहा – "कहाँ राजा भोज और कहाँ गंगू तेली!" अर्थात् एक ओर महान राजा भोज और दूसरी ओर एक साधारण तेली, इन दोनों की कोई तुलना नहीं।
प्रेरणास्रोत:
यह कहानी यह सिखाती है कि हर व्यक्ति की एक मर्यादा और भूमिका होती है। योग्य और अयोग्य की पहचान जरूरी है, और स्थान, स्थिति व पात्रता का सम्मान भी उतना ही आवश्यक है। यह कहावत आज भी तब बोली जाती है जब किसी साधारण व्यक्ति की तुलना एक अत्यंत योग्य या महान व्यक्ति से की जाती है।
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भारतीय सांस्कृतिक शिक्षाएं
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